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रुद्राभिषेक पूजा के लाभ

रुद्राभिषेक पूजा के लाभ और महत्व – पंचमुखी महादेव की महिमा

रुद्राभिषेक पूजा के लाभ और महत्व – पंचमुखी महादेव की महिमा

शिव और रुद्र: एक-दूसरे के पर्यायवाची

शिव और रुद्र दोनों नाम भगवान शिव के ही अलग-अलग रूपों को दर्शाते हैं। ‘रुतम्’ का अर्थ दु:ख और ‘द्रावयति’ का अर्थ नष्ट करना होता है, इसीलिए रुद्र का अर्थ होता है “दु:खों को नष्ट करने वाला”। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार, हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों का कारण होते हैं।

रुद्राभिषेक का महत्व

रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से कुंडली में मौजूद पातक कर्म और महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं। इससे साधक में शिवत्व का उदय होता है और भगवान शिव का शुभाशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।

रुद्रहृदयोपनिषद का महत्व

रुद्रहृदयोपनिषद में कहा गया है कि सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका। इसका अर्थ है कि सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा हैं। विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री का उल्लेख हमारे शास्त्रों में किया गया है।

विभिन्न पूजन विधियाँ

रुद्राभिषेक पूजन को विभिन्न विधियों से और विविध मनोरथों को लेकर किया जाता है। किसी खास मनोरथ की पूर्ति के लिए तदनुसार पूजन सामग्री और विधि से रुद्राभिषेक किया जाता है।

रुद्राभिषेक के विभिन्न लाभ

रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली के महापाप जलकर भस्म हो जाते हैं और हममें शिवत्व का उदय होता है। भगवान शिव का शुभाशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

रुद्राभिषेक के लाभ इस प्रकार हैं:

  1. जल से अभिषेक: वर्षा की प्राप्ति होती है।
  2. कुशोदक से अभिषेक: असाध्य रोगों का शमन होता है।
  3. दही से अभिषेक: भवन-वाहन की प्राप्ति होती है।
  4. गन्ने के रस से अभिषेक: लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
  5. शहद एवं घी से अभिषेक: धनवृद्धि होती है।
  6. तीर्थ के जल से अभिषेक: मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  7. इत्र मिले जल से अभिषेक: बीमारी नष्ट होती है।
  8. दुग्ध से अभिषेक: पुत्र प्राप्ति होती है।
  9. गोदुग्ध से अभिषेक: मृत संतान की प्राप्ति होती है।
  10. शीतल जल/गंगाजल से अभिषेक: ज्वर की शांति होती है।
  11. घृत की धारा से अभिषेक: वंश का विस्तार होता है।
  12. दुग्धाभिषेक: प्रमेह रोग की शांति होती है।
  13. शकर मिले दूध से अभिषेक: जड़बुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।
  14. सरसों के तेल से अभिषेक: शत्रु पराजित होता है।
  15. शहद से अभिषेक: यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
  16. शहद से अभिषेक: पातकों का नाश होता है।
  17. शुद्ध घी से अभिषेक: आरोग्यता प्राप्त होती है।
  18. शकर मिश्रित जल से अभिषेक: पुत्र की प्राप्ति होती है।

विशेष अवसर पर रुद्राभिषेक के लाभ

विशेष अवसरों जैसे सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में मंत्र, गोदुग्ध या अन्य दूध मिलाकर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में पंचामृत से अभिषेक किया जाता है।

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पंचमुखी महादेव शिवलिंग का अभिषेक

नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है। किंतु पंचमुखी  शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम देता है।

वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक की महिमा

वेदों में विद्वानों ने रुद्राभिषेक की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। पुराणों में इससे संबंधित अनेक कथाएँ प्राप्त होती हैं। रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था जिससे वह त्रिलोकजयी हो गया था।

निष्कर्ष

रुद्र  अभिषेक हमारे जीवन में शांति और समृद्धि लाता है। यह न केवल पापों का नाश करता है, बल्कि शिवत्व का उदय भी करता है। शिव का आशीर्वाद प्राप्त करके हम अपने सभी मनोरथों को पूरा कर सकते हैं।

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FAQs

  1. रुद्राभिषेक क्या है? रुद्राभिषेक शिवलिंग पर विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक करने की विधि है जिससे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  2. रुद्र और शिव में क्या अंतर है? रुद्र और शिव एक ही हैं। रुद्र का अर्थ है “दु:खों का नाश करने वाला” और शिव का अर्थ है “कल्याणकारी”।
  3. रुद्राभिषेक का क्या महत्व है? रुद्राभिषेक से कुंडली के पातक कर्म और महापातक जलकर भस्म हो जाते हैं और शिवत्व का उदय होता है।
  4. कौन-कौन से द्रव्य रुद्राभिषेक में उपयोग किए जाते हैं? जल, कुशोदक, दही, गन्ने का रस, शहद, घी, तीर्थ का जल, दुग्ध आदि।
  5. रुद्राभिषेक के लाभ क्या हैं? रुद्राभिषेक से वर्षा, रोग निवारण, धनवृद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, मोक्ष आदि लाभ होते हैं।