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काल भैरव जयंती - kal bhairav jayanti

काल भैरव जयंती 2024: शिव के रौद्र रूप की पूजा

काल भैरव जयंती: भगवान शिव के रौद्र रूप की उपासना का विशेष पर्व

हर साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। साल 2024 में यह पर्व 22 नवंबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र और दंडाधिकारी रूप काल भैरव पूजा की जाती है, जिन्हें दुखों और भय से मुक्ति दिलाने वाला देवता माना जाता है। काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है और उनकी पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

काल भैरव जयंती का महत्व – Kala Bhairav Jayanti 2024

काल भैरव जयंती के दिन भक्त भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करके अपने जीवन से दुख-दर्द को दूर करने की कामना करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो जीवन में भय, संकट, और नकारात्मक ऊर्जाओं से परेशान हैं। आइए, काल भैरव जयंती से जुड़ी खास बातों और इस दिन के महत्व को विस्तार से समझते हैं।

Kal Bhairav Ashtami Puja – काल भैरव का इतिहास और उत्पत्ति

भगवान शिव ने काल भैरव का रूप अपने गुस्से और न्याय के प्रतीक के रूप में धारण किया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्माजी ने अहंकार में शिव की महिमा को चुनौती दी, जिस पर शिव ने अपने रौद्र रूप काल भैरव का सृजन किया, जिसने ब्रह्माजी के अहंकार का नाश कर दिया।

काल भैरव को क्यों कहते हैं काशी का कोतवाल?

वाराणसी में काल भैरव का बहुत ही खास महत्व है। मान्यता है कि वे काशी के कोतवाल (रक्षक) हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। काशी में काल भैरव के मंदिर में हर दिन सैकड़ों भक्त आते हैं और उनके सामने अपनी प्रार्थनाएँ रखते हैं।

काल भैरव जयंती का पूजन विधान

इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और विशेष अनुष्ठान का आयोजन होता है। पूजन की शुरुआत भगवान शिव के पंचामृत स्नान से होती है और इसके बाद उन्हें लाल रंग के वस्त्र, फूल और विशेष धूप से पूजा जाता है।

पूजा में सरसों के तेल का दीपक जलाना

काल भैरव जयंती के दिन शमी वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इससे रिश्तों में आई दरारें दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

काल भैरव चालीसा का पाठ

इस दिन भक्तों को भगवान शिव की स्तुति में श्री भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए, जो न केवल उनके जीवन से विपदाओं को दूर करता है, बल्कि आत्मिक शांति और स्थिरता का भी अनुभव कराता है।

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पूजा में शिवलिंग की विशेष पूजा

काल भैरव की पूजा के दौरान शिवलिंग की पूजा भी विशेष मानी जाती है। इससे व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने में सहायता मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।

काल भैरव पूजा भक्तों की आस्था

काल भैरव के प्रति भक्तों की असीम आस्था है और यही कारण है कि इस दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ लग जाती है। काल भैरव के दर्शन से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन में हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।

काल भैरव जयंती का संपूर्ण महत्व

यह दिन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भक्तों के लिए आध्यात्मिक यात्रा का माध्यम है। काल भैरव जयंती का महत्व सिर्फ आध्यात्मिक रूप से नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

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